Cervical Spondylosis ( गर्दन का दर्द )
Cervical spondylosis गर्दन की बनावट में आई गड़बड़ी के कारण होने वाला रोग है। मानव शरीर में रीड की हड्डी के ऊपरी भाग में 7 कशेरुकाएं होती हैं। गर्दन की इन 7 कशेरुकाओं में सिकुड़न या घिसावट होने या इनके बीच की जगह संकरी हो जाने, गर्दन-प्रदेश की कोशिकाओं की टूट-फूट से जमावट और अकड़न होने से सर्वाइकल स्पॉन्डलोसिस नामक रोग उत्पन्न होता है।
Cervical spondylosis के लक्षण
इसकी शुरुआत गर्दन की नसों पर पड़ने वाले दबाव से होती है। गर्दन की नसों पर दबाव पड़ने से गर्दन में, गर्दन के आसपास, गर्दन के पिछले भाग, गर्दन के आसपास दोनों कंधों के बीच में दर्द, मस्तिष्क में दर्द और तनाव होने लगता है।
धीरे-धीरे भुजाओं में, हाथों में और उंगलियों तक यह दर्द फैल जाता है। कभी कभी अंगुलिया सुन्न हो जाती हैं। गर्दन में दर्द व अकड़न के अतिरिक्त सिर में चक्कर आना। मस्तिष्क में दर्द और बेचैनी हाथों की पकड़ कमजोर होना, गर्दन घुमाने में अवरोध या तकलीफ होना आदि लक्षण देखे जा सकते हैं।
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Cervical spondylosis होने के कारण
यह रोग गर्दन के गलत इस्तेमाल करने, गद्दे के तकिए पर सोने, दो-दो तकिया लगा कर सोने, सामने की ओर अधिक देर तक देखते रहने, ऊपर अधिक देर तक गर्दन उठाए रखने, लगातार लंबे समय तक बैठे बैठे या खड़े-खड़े काम करने, अधिक लिखने पढ़ने, गर्दन झुका कर काम करने या गलत पोस्चर में ड्राइविंग करने जैसे आदि कारणों से उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त चिंता भाग दौड़, मानसिक तनाव, डिप्रेशन, आदि अन्य कारण रोग बढ़ाने में सहायक होते हैं।
--------योग उपचार से कैसे करें दूर-----------
दवाओं के सेवन से रोग निवारण में अधिक सहायता नहीं मिलती और ना ही स्थाई रूप से लाभ होता है क्योंकि यह रोग गर्दन की बनावट में विकार आ जाने से उत्पन्न होता है। योगाभ्यास और विशेष व्यायाम से ही इस रोग को पूर्णतया ठीक किया जा सकता है।
जिन योगिक क्रियाओं से इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है उनके नाम मैं आपको बता देता हूं उन्हें करने की पूरी विधि आप यूट्यूब या अन्य माध्यम से जान सकते हैं।
1= भुजंगासन
2= अर्धशलमासन
3= पद्चात्य प्राणायाम
4= ब्रह्म मुद्रा
कुछ सामान्य व्यायाम इस प्रकार हैं -
1. कंधों को ऊपर नीचे करना।
2. कंधों को सामने तथा पीछे की ओर गतिशील रखना।
3. कंधों को घड़ी की सीधी एवम उल्टी दिशा में घुमाना।
4. तितली व्यायाम - अंगुलियों को गर्दन के पीछे आपस में फसाना तथा हाथों को बगल में रखना और गर्दन को फसी उंगलियों की तरफ दबाव देते हुए कोहनी को आगे पीछे करना।
5. अंगुलियों को सीधी और उलटी दिशा में घुमाना कलाइयों को ऊपर नीचे करना जोड़ों को गतिशील करना।
इन सभी व्यायाम और क्रियाओं को प्रत्येक दिन में तीन चार बार करना प्रारंभ करेंगे तथा धीरे-धीरे 10-12 बार करने का अभ्यास करें परंतु व्यायाम नियमित रूप से करें।
Cervical spondylitis रोग से बचने के उपाय----
1. एक से अधिक मोटे तकियों का प्रयोग ना करें।
2. अधिक समय तक गर्दन झुका कर कार्य न करें।
3. उबड़ खाबड़ सड़कों से बचें। ड्राइविंग करते समय अचानक ब्रेक ना लगाएं ताकि गर्दन को झटकों से बचाया जा सके।
4. ड्राइविंग तथा सभी अवस्थाओं में पोस्चर या शरीर की स्थिति को सही बनाए रखने की ओर विशेष ध्यान दें।
5. पढ़ने-लिखने का कार्य करते समय स्वयं झुकने के बजाय मेज़ को थोड़ा ऊंचा रखें अथवा मेज पर 60 डिग्री ऊंचा लकड़ी का स्लाइडिंग बोर्ड इस्तेमाल करें।
6. हमेशा जल्दबाजी और मानसिक तनाव से बचें।
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Thank u
ReplyDeleteThank u ☺️
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